भारत में पाण्डुलिपि को पढ़ना आसान नहीं था क्योंकि ये अलग - अलग मनुष्यों द्वारा लिखे जाते थे जिनके हस्तलेखन के तरीके भी बहुत भिन्न होते थे जिन्हे पढ़ना व समझना बेहद कठिन था।

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